मोहन यादव का नेतृत्व और संघ का समर्थन

2023 के लोकसभा चुनावों में मुख्यमंत्री मोहन यादव ने बड़ी सफलता हासिल की, जिससे भाजपा के साथ-साथ संघ भी प्रभावित हुआ। सत्ता संभालने के बाद से मोहन यादव ने नीतियों को संघ और भाजपा के कोर एजेंडे, विशेष रूप से हिंदुत्व, ब्यूरोक्रेसी, और ओबीसी, ट्राइबल, और गरीब वर्ग पर केंद्रित रखा है। संघ से जुड़े होने के कारण हिंदुत्व उनके कार्यकाल का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रहा है। इसके अलावा, उन्होंने ब्यूरोक्रेसी में सख्त निर्णय लेते हुए कई कलेक्टरों को हटाया और प्रशासनिक अधिकारियों को स्पष्ट संदेश दिया कि “निजाम बदल चुका है।”

सुरक्षा और शिक्षा के मुद्दों पर चर्चा

हाल ही में संघ और राज्य सरकार के बीच हुई एक हाई-लेवल समन्वय बैठक में सुरक्षा, कानून व्यवस्था, और नई शिक्षा नीति जैसे मुद्दों पर चर्चा हुई। खासतौर पर लव जिहाद, आतंकवाद, और मदरसों में भ्रष्टाचार जैसे विषयों पर गहन विचार-विमर्श हुआ। इसके अलावा, विभिन्न मुद्दों पर चर्चा करने और रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए अलग-अलग समूहों का गठन किया गया है। बैठक में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख नेता और सरकार के शीर्ष मंत्री भी शामिल थे।

स्वरोजगार और स्वावलंबन पर फोकस

संघ ने स्वरोजगार और स्वावलंबन को लेकर भी गहन चर्चा की, जिसमें यह सुझाव दिया गया कि युवाओं के लिए स्वरोजगार के अधिक से अधिक अवसर तैयार किए जाएं। इसके लिए संघ ने विभागीय मंत्रियों और संघ के आनुषांगिक संगठनों के साथ मिलकर एक चार साल का रोडमैप तैयार करने की बात कही। स्वदेशी जागरण मंच और अन्य आनुषांगिक संगठन पहले से ही इस दिशा में काम कर रहे हैं, जिससे लाखों युवाओं को स्वरोजगार के लिए प्रशिक्षित किया जा चुका है। संघ और सरकार ने मिलकर इन मुद्दों पर साझा रणनीति तैयार करने की योजना बनाई है।